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Ashwani Kapoor

जीवन  तरंग

जीवन  तरंग

जीवन मिला, स्वर साथ मिला

हर नई सुबह, नए भाव मिले,

प्रतिपल, नए सोपान मिले।

कोई माँ रूप में मिला

कोई पिता भाव में आया

कोई मित्र–बंधू

कोई राह चलता राहगीर मिला।

पहले लगता था, सब मैं करता हूं,

अब जाना, सब तुमने किया।

स्वर मिला, तो शब्द मिले,

शब्द जोड़ नए भाव मिले

हर शब्द ने, नित नया रूप रचा,

हर रूप में नित नया रंग मिला,

नए रंग ने मुझे, नया रूप दिया।

अब तठस्थ भाव, में होकर जाना

यदि तुम न होते, तो ये न होता

वह न होता, तो कुछ न होता !

मेरा ‘मैं’, अब नहीं रहा, जीवन में

हर रंग नया, तुमने ही भरा।

हर नए सोपान को नमन मेरा !

कृतज्ञ हों, जनक – जननी,

मित्र– बंधू, अपने हर गुरुजन का |

जब समझ आए उसी को सवेरा मानें यही जीवन का सार है , मेरे दोस्त ! —-अश्विनी कपूर!