मेरे अपने जो बिछुड़ गए
मेरे अपने जो बिछुड़ गए
जब मेरा अपना कोई बिछुड़ जाता है
दूर सपनों के देश चला जाता है ....
मेरी मानो दूर तारों के बीच जाकर
वो भी एक तारा बन जाता है
और वो तारा कभी - कभी देवदूत बन कर
मेरे सपनों में आता है - कभी मुसकराता है
कभी गीत नए सुनाता है !
दर्द की चरम सीमा पर था चाहे वह पहले
पर सपनों में वो सदा मुसकुराहट बिखेरता है-
नए गीत गुनगुनाते हुए ,
नए सपनों की बातें करता है
आशा की नई किरण की अलख जगाता है !
मेरे मन में नए अरमान जगाता है !
शब्दों से दूर है अब
इसीलिए बस अपनी मुसकुराहट से
यही सन्देश देता है
कि दूर दुनिया है
जो बहुत सुन्दर है
- वहाँ न डर है , न धोखा
न पाने की खुशी , न खोने का गम
न कोई दिखावा और न कोई बडप्पन !
बस मुसकुराहट है , प्रेम है
संगीत है और मनभावन सुगन्ध !!
-अश्विनी कपूर
जब समझ आए उसी को सवेरा मानें यही जीवन का सार है , मेरे दोस्त ! —-अश्विनी कपूर!